Friday, April 25, 2014

बेटियाँ क्यू पराई है

बेटी बनके आई हु मा-बाप के जीवन में,बसेरा होगा कल मेरा किसी और आँगन में,
क्या ये रित खुदा ने बनाई होगी....
कहते है आज नहीं तो कल तू परे होगी,
देके जन्म पाल-पोश कर जिशने हमें बड़ा किया,
और वक्त आया तो उन्ही हाथो ने हमें विदा किया...
टूट के बिखर जाती है हमारी जिंदगी वही,
पर उस बंधन में प्यार मिले जरुरी तो नहीं,
क्यों रिश्ता हमरा एसा अजीब होता है,


क्या बस यही हम बेटियों का नशीब होता है...

Monday, March 3, 2014

एक व्यंग्य

हमनें एक बेरोज़गार मित्र को पकड़ा
और कहा, "एक नया व्यंग्य लिखा है, सुनोगे?"
तो बोला, "पहले खाना खिलाओ।"
खाना खिलाया तो बोला, "पान खिलाओ।"
पान खिलाया तो बोला, "खाना बहुत बढ़िया था
उसका मज़ा मिट्टी में मत मिलाओ।
अपन ख़ुद ही देश की छाती पर जीते-जागते व्यंग्य हैं
हमें व्यंग्य मत सुनाओ
जो जन-सेवा के नाम पर ऐश करता रहा
और हमें बेरोज़गारी का रोजगार देकर
कुर्सी को कैश करता रहा।

व्यंग्य उस अफ़सर को सुनाओ
जो हिन्दी के प्रचार की डफली बजाता रहा
और अपनी औलाद को अंग्रेज़ी का पाठ पढ़ाता रहा।
व्यंग्य उस सिपाही को सुनाओ
जो भ्रष्टाचार को अपना अधिकार मानता रहा
और झूठी गवाही को पुलिस का संस्कार मानता रहा।
व्यंग्य उस डॉक्टर को सुनाओ
जो पचास रूपये फ़ीस के लेकर
मलेरिया को टी०बी० बतलाता रहा
और नर्स को अपनी बीबी बतलाता रहा।

व्यंग्य उस फ़िल्मकार को सुनाओ
जो फ़िल्म में से इल्म घटाता रहा
और संस्कृति के कपड़े उतार कर सेंसर को पटाता रहा।
व्यंग्य उस सास को सुनाओ
जिसने बेटी जैसी बहू को ज्वाला का उपहार दिया
और व्यंग्य उस वासना के कीड़े को सुनाओ
जिसने अपनी भूख मिटाने के लिए
नारी को बाज़ार दिया।
व्यंग्य उस श्रोता को सुनाओ
जो गीत की हर पंक्ति पर बोर-बोर करता रहा
और बकवास को बढ़ावा देने के लिए
वंस मोर करता रहा।

व्यंग्य उस व्यंग्यकार को सुनाओ
जो अर्थ को अनर्थ में बदलने के लिए
वज़नदार लिफ़ाफ़े की मांग करता रहा
और अपना उल्लू सीधा करने के लिए
व्यंग्य को विकलांग करता रहा।

और जो व्यंग्य स्वयं ही अन्धा, लूला और लंगड़ा हो
तीर नहीं बन सकता
आज का व्यंग्यकार भले ही "शैल चतुर्वेदी" हो जाए
'कबीर' नहीं बन सकता।

Friday, July 6, 2012

Jindgi

kya khabar thi is tarah se wo juda ho jayega
khwab mein bhi us ka milana khwab sa ho jayega
zindagi thi qaid hamen kya nikaloge us se
maut jab aa jayegi to khud riha ho jayega
dost banakar us ko chaha, ye kabhi socha na tha
dosti hi dosti mein wo khuda ho jayega
us ka jalva hoga kya jisaka ke parda nur hai
jo bhi us ko dekh lega wo fida ho jayega
Zindagi Aur Bata Tera Irada Kya Hai?
Ek Hasrat thi k Aanchal ka Mujhe Pyar mile
Mai ne Manzil ko Talasha, Mujhe Bazaar mile
Zindagi Aur Bata Tera Iraada Kya Hai?
Jo b Taqdeer banata hoon, Bigar jaati hai
Dekhte Dekhte Dunya hi Ujar jaati hai
Meri Kashti, Tera Toofaan se Wada kya hai
Zindagi Aur Bata Tera Iraada Kya Hai?
Tu ne jo Dard dya, uski Qasam khata hoon
Itna zyaada hai ke, Ehsaas daba jata hoon
Meri Taqdeer bata, Aur Takaaza kya hai?
Zindagi Aur Bata Tera Iraada Kya Hai?
Mai ne Jazbaat k Sang khelte Daulat dekhi
Apni Aankhon se Mohabbat ki Tijaarat dekhi
Aisi Dunya mai Mere waaste rakha kya hai?
Zindagi Aur Bata Tera Iraada Kya Hai?
Aadmi chahe to Taqdeer badal sakta hai
Poori Dunya ki wo Tasveer badal sakta hai
Aadmi soch to le, uska Iraada kya hai?
Zindagi Aur Bata Tera Iraada Kya Hai?
Ek Hasrat thi k Aanchal ka Mujhe Pyaar mile
Mai ne Manzil ko Talasha, Mujhe Bazaar mile
Zindagi Aur Bata Tera Iraada Kya Hai?
Regards.


© http://hindisms.org/sms/hindi-ghazals#ixzz1zu6WmfZQ

Wednesday, June 27, 2012

Bas Ek Tha Khwaab.....


Bas Ek Tha Khwaab.....


Bas ek tha khwaab uss khwaab mein the aap
aap ke sath the hum har ghadi har pal
Sab kuch bahut sunehra tha na jana tha
aage dukhon ka pehra tha,
Hum lafzon se kuch keh na sake
aur is ankahe pyar ko aap samajh na sake
Aap ne thaam liya kisi aur ka hath
hum khamosh se taraste reh gaye aap ka sath,
Aaj bhi is dil mein ek khwaab basta hai
aap khush rahein apne pyar ke sath yehi aas rakhta hai

Wednesday, May 2, 2012

Chahat

"Mein ne to bohat chaha magar wo mila he nahi ...Laakh koshish ki magar fasla mita he nahi...Us ko majboor zamane ne is kadar kar diya k...Meri kisi saada par woh thehra he nahi...khuda se jholi pehla kay manga tha usay ...Khuda ne meri kisi dua ko sunna he nahi...Har aik se pucha sabab us kay na milne ka ...Har eik ne kaha woh tere liye bana hi nahi...!!

Sunday, April 15, 2012

zindagi - kuch khatti kuch mitti

लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मीलता
शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता


किस्मतवालों को ही milati है पनाह कीसी के dil में
यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं milata


अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर
अंधेरों में तुम तो mil जाते हो, साया नहीं milata


इस बेवफ़ा zindagi से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होती
अगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं milata

भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!
मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,
उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,
दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,
क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं होती.

दोस्ती . . . . . . . .

दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..

जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..

येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..

नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..

कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..

सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..

माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..

ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती